हरियाणा तीज त्योहार
संवत्सर --- चैत शुक्ला प्रतिपदा ,विक्रम संवत के अनुसार वर्ष का प्रथम दिवस है | प्रवरा तिथि होने के कारण हरियाणा में इसे पंडवा कहते है कुछ क्षेत्रों में इसे त्रैती चाँद कहते है | इसे प्रवरा तिथि कहने के पीछे कई करण है | ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत मासि जगद ब्रम्हा ससर्ज प्रथमेअहनि |अर्थात् ब्रह्मा ने इसी दिन स्रष्टि का आरम्भ किया था स्म्रतिकोस्तुभ के अनुसार मत्स्यावतार का आविर्भाव इशी दिन हुआ था |सतयुग का आंरभ इसी दिन से माना जाता है प्रतापी सम्राट विक्रमादित्य ने अपने संवत का आरंभ इसी दिन से किया |
नोरते (नवरात्र) वासंतिक --- हरियाणा में मुख्य रूप से चैत और आशिवन के नवरात्र मनाए जाते है , जिन्हें क्रमशः वासंतिक तथा शारदीय नवरात्र कहा जाता है | देसी बोली में लोग इसे नोराते कहते है | इन नवरात्रो में भी शारदीय नवरात्र अधिक उत्साह से मनाए जाते है |
गणगौर/ गौरी त्रतीय --- सोभाग्यवती महिलाएं गणगौर का व्रत चैत शुक्ल त्रतीय के दिन बहुत उत्साह से करती है | यह दिन इस्त्रियो दुवारा अपने पति के प्रति गुप्त भक्ति का दिन है महिलाएं घर घर में गोबर अथवा मिटटी से गणगौर की छोटी प्रतिमाए बनाकर दीवारों पर स्थापित कर उन्हें लाल वस्त्र से ढांप देती है सख्त मीठे आटे के तले हुए वल्यकर गुनो से गणगौर की पूजा की जाती है |
संवत्सर --- चैत शुक्ला प्रतिपदा ,विक्रम संवत के अनुसार वर्ष का प्रथम दिवस है | प्रवरा तिथि होने के कारण हरियाणा में इसे पंडवा कहते है कुछ क्षेत्रों में इसे त्रैती चाँद कहते है | इसे प्रवरा तिथि कहने के पीछे कई करण है | ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत मासि जगद ब्रम्हा ससर्ज प्रथमेअहनि |अर्थात् ब्रह्मा ने इसी दिन स्रष्टि का आरम्भ किया था स्म्रतिकोस्तुभ के अनुसार मत्स्यावतार का आविर्भाव इशी दिन हुआ था |सतयुग का आंरभ इसी दिन से माना जाता है प्रतापी सम्राट विक्रमादित्य ने अपने संवत का आरंभ इसी दिन से किया |
नोरते (नवरात्र) वासंतिक --- हरियाणा में मुख्य रूप से चैत और आशिवन के नवरात्र मनाए जाते है , जिन्हें क्रमशः वासंतिक तथा शारदीय नवरात्र कहा जाता है | देसी बोली में लोग इसे नोराते कहते है | इन नवरात्रो में भी शारदीय नवरात्र अधिक उत्साह से मनाए जाते है |
गणगौर/ गौरी त्रतीय --- सोभाग्यवती महिलाएं गणगौर का व्रत चैत शुक्ल त्रतीय के दिन बहुत उत्साह से करती है | यह दिन इस्त्रियो दुवारा अपने पति के प्रति गुप्त भक्ति का दिन है महिलाएं घर घर में गोबर अथवा मिटटी से गणगौर की छोटी प्रतिमाए बनाकर दीवारों पर स्थापित कर उन्हें लाल वस्त्र से ढांप देती है सख्त मीठे आटे के तले हुए वल्यकर गुनो से गणगौर की पूजा की जाती है |
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