हरियाणा में प्रतिक्रिया


                            हरियाणा में  प्रतिक्रिया

Ø  संत फतेसिंह के व्रत की हरियाणा में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया हुई | लगभग सभी वर्गो  के ज्न्स्घ के अन्यइयो तथा खुछ कांग्रेसी को छोड़कर , भारत तथा पंजाब सरकार से पुजोर अपील की की वे पंजाबी सूबे की मांग को स्वीकार करे और हरियाणा को प्रथक प्रान्त बना दे | २३ दिसम्बर १९६५ को ग्रह राज्यमंत्री ने भारतीय संसद के दोनों संदर्भ में पंजाब के पुनर्गठन के प्रश्न के समबन्ध में संसदीय समिति के गठन सम्बन्धि सरकार के निर्णय की घोषण की | इसके तुरंत बाद हुकमसिंह की अघ्यक्षता में इस काम के लिए संसदीय समिति का गठन हुआ जिसने समस्या के सब पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया  |   
                                                                                 
                             पुनर्गठन प्रस्ताव स्वीकार

Ø  3 मार्च 1966 को चोधरी देवीलाल केव नेत्रत्व में हरियाणा संघर्ष समिति ने एक बार पुन: संतजी से भेँट की | हुकमसिंह समिति ने पंजाब को पुनर्गठन स्वीकार किया | साथ ही समिति ने यह भी सिफारिश की कि पुनर्गठन के लिए सीमा आयोग बनाया जाए | फलत: समिति की सिफारिश के अनुसार भारत सरकार ने 25 अप्रेल ,1966 को 1 ,3 सदसीय सीमा आयोग का गठन हो गया |
इस आयोग के सदस्य थे – जस्टिस जे.सी. शाह  (सभापति ) श्री एस. दत ओर श्री एम्.एम् फिलिप | आयोग ने सब प्रकार के तथ्यों तथा दलीलों का भी गंभीर रूप से अध्यन करके ३१ मई 1966 को अपनी रिपोट पेश कर दी | रिपोट के अनुसार नवनिर्मित हरियाणा प्रदेश में निम्निलिखित  क्षेत्रों के शामिल होने की सिफारिश की थी ---
                                                                    
Ø  जिला हिसार , महेंद्रगढ़ ग्रुग्राम , रोहतक , करनाल , जिला संगरूर की नरवाना तथा जींद तहसीले अम्बाला जिले की खरड ( चंणडीगढ़ सहित ) नारायणगढ अम्बाला और जगाधरी तहसीले | श्री एस दत ने आयोग की यह सिफरिश स्वीकार नहीं की कि खरड तथा चंणडीगढ़ हरियाणा में शामिल हो |

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